क्षणिकाए तो आपने खूब पढ़ी होंगी
आओ कुछ झेलिकाए हम सुनाते है ।
कुछ बोले तो ना सुनेंगे लोग
इसलिए जबरन अनुराग जताते है। - 1 )कही कुछ बेहतर था तुममे हम से
गौर से देखा तो लगा कुछ भी नहीं ।
2 )कब कहा था मुमताज़ ने शाहजहाँ से
बनाओ एक ताजमहल ऐसा
जिसमे मेरी याद तो हो मगर मै नहीं ।
3 )कल किसने देखा है जमाना कैसा होगा
यकीन खुद पर हो तो निगाहे आंसमा पर होंगी । 4 )कल रात आईना स्वपन मे आया
खुली आँख और दिल घबराया ।
आओ कुछ झेलिकाए हम सुनाते है ।
कुछ बोले तो ना सुनेंगे लोग
इसलिए जबरन अनुराग जताते है। - 1 )कही कुछ बेहतर था तुममे हम से
गौर से देखा तो लगा कुछ भी नहीं ।
2 )कब कहा था मुमताज़ ने शाहजहाँ से
बनाओ एक ताजमहल ऐसा
जिसमे मेरी याद तो हो मगर मै नहीं ।
3 )कल किसने देखा है जमाना कैसा होगा
यकीन खुद पर हो तो निगाहे आंसमा पर होंगी । 4 )कल रात आईना स्वपन मे आया
खुली आँख और दिल घबराया ।
1 comment:
jhel liya ji ye bhi ....bahut khoob
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