हवाओ से कह दो अपनी औकात में रहे
हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं।
फिज़ाओं से कह दो अपनी हदों में रहे
हम बहारो से नहीं घटाओ से बनते है।
फूलो से कह दो कही और खिले
हम पंखुड़ी से नहीं काँटों में रहते हैं।
दुश्मनों से कह दो कही और बसे
हम कही और नहीं दोस्तों के दिल में रहते हैं।
4 comments:
बहुत सुन्दर रचना
मित्र दिवस की शुभकामनाये ....
सुन्दर ... बहुत सुन्दर
मित्र दिवस की शुभकामनाएँ
वाह! क्या बात है! बहुत सुन्दर!
Very nice Likhate rahen
Post a Comment