तुम्हे लिखने को कुछ वजह चाहिए,
और हमारे बीच कुछ भी ऐसा नहीं जो बेवजह हो
और हमारे बीच कुछ भी ऐसा नहीं जो बेवजह हो
तो फिर हमारे बीच ऐसा क्या है जो वजह बने
और तुम मुझे लिखो और मै तुम्हे लिखू
और तुम मुझे लिखो और मै तुम्हे लिखू
हां याद है एक वजह जब मै बहुत उदास थी ,
तुम्हारी वजह से मुस्कुराई .
तुम्हारी वजह से मुस्कुराई .
शायद मेरे होठो पर उस मुस्कुराहट के बाद एक उधार बाकी है
बस चुकता करने कि वजह हमेशा ढूंढती हूं
और फिर बिना किसी वजह के लिखती चली जाती हू तुम्हें
और फिर बिना किसी वजह के लिखती चली जाती हू तुम्हें
1 comment:
बिना किसी वजह के लिखती चली जाती हू तुम्हें...
----क्या बात है प्रवीणा जी !
बहुत खूब...
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