Sunday

दोस्तों के दिल में रहते है

हवाओ से कह दो अपनी औकात में रहे 


हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं। 


फिज़ाओं से कह दो अपनी हदों में रहे 


हम बहारो से नहीं घटाओ से बनते है।


फूलो से कह दो कही और खिले 


हम पंखुड़ी से नहीं काँटों में रहते हैं।


दुश्मनों से कह दो कही और बसे 


हम कही और नहीं दोस्तों के दिल में रहते हैं।

4 comments:

समयचक्र said...

बहुत सुन्दर रचना
मित्र दिवस की शुभकामनाये ....

M VERMA said...

सुन्दर ... बहुत सुन्दर
मित्र दिवस की शुभकामनाएँ

nilesh mathur said...

वाह! क्या बात है! बहुत सुन्दर!

Hasan Khan said...

Very nice Likhate rahen