Friday

सांता के नाम एक पत्र

dear santa...

बेटे को सुला दिया है.  ढेर सारे सपनों के साथ, उसे सुबह अपने गिफ्ट का इन्तजार है, जानती हू सोच कर सोया है सुबह बड़ी सायकिल मिलेगी!

मगर मै जानती हू मै समझदार हॉउस वाइफ हूँ, दो  सायकिल पहले से ही है ,पैसे कि चिंता नहीं है , आजकल पैसो का जमाना नहीं रहा , सोचती हू भीड़ बढेगी सो लाई नहीं ,अपने कीमती साड़ियो के ढेर  मुझे सँभालने में कोई झिझक नहीं,

खैर अभी चिंता सुबह कि है , वो जब उठ कर ख़ुशी ख़ुशी गिफ्ट संभालेगा ,और मेरी समझदारी  से लाया गिफ्ट उसे वो मुस्कराहट ना दे सका तो ................डर लग रहा है,

इतना डर  तो खुद के उन परीक्षा परिणामो का भी नहीं रहा  जो मैंने एक दिन कि तैयारियों में दिए थे , वैसे हमारे बचपन में आप का कही जिक्र मुझे याद नहीं कभी मेरे पेरेंट्स ने किया हो , या क्रिसमस जैसे त्यौहार तारे सितारे गुब्बारे फ्रिल जैसे आकर्षण कभी देखे नहीं , क्योकि या तो  मीडिया इतना बुद्धिमान नहीं था , या फिर खुश होने के बहाने मालूम नहीं थे , कुछ मिला ना मिला बस खुश थे ,जो भी हो कल का डर  तो उसकी मुस्कुराहट को लेकर है

......आपसे क्या मांगू समझ में नहीं आता , यह कि कल वो खिल उठे , या यह कि जब वो समझदार हो तो उसे सब समझ में आ जाए कि हमारे लिए ये त्यौहार मनाकर खुश होना ज्यादा जरुरी नहीं है. और फिर वो मुस्कुराने के दूसरे  बहाने तलाशे!

मैरी क्रिसमस

...कान्हा की मां

रात्रि 24 दिसम्‍बर 2010

1 comment:

Sunil Pareek said...

yeh padh kar mujhe aapni bachpan yaad aa gayi . a very simple yet impressive lines. I really appriciate your post. thanx for sharing.