Wednesday

आभासी दुनिया में सच्‍चा किला


एक गांव में एक बूढ़ा था। (बूढ़े गांव में ही मरते हैं शहर का बूढ़ों से कोई सम्‍बन्‍ध नहीं है)
जब वह मरने लगा तो उसने अपने इकलौते बेटे को उपदेश दिया (उसकी आईक्‍यू लेवल का ध्‍यान रखे बिना)

'मेरी एक बात पर सदा अमल करना। हर गांव में अपने लिए एक किला जरूर बनवाना।'

बूढ़ा मर गया और बेटे ने अपने पिता के अंतिम उपदेश पर अमल करने के लिए कमर कस ली। जब वह स्‍वयं बूढ़ा हो गया, उसके बाल सफेद हो गए, तब तक अपनी सारी उम्र में बीस गांव में से केवल तीन किले बनवा सका। उसे पछतावा था, कि मौत उसके निकट पहुंच गई और वह अपने पिता के उपदेश पर अमल नहीं कर सका। उसने बड़ी हसरत से अपनी निराशा अपने एक हमउम्र बूढ़े अजनबी से प्रकट की। अजनबी ने उसकी ओर विस्‍मय से देखा और कहा
'ओह तुम अपने पिता की बात समझ न सके। तुम्‍हारे पिता ने जो किला बनवाने के लिए कहा था, उसका मतलब ईंट और पत्‍थर से बनने वाला किला नहीं था, वह तो तुम्‍हें उपदेश दे रहा था, कि हर गांव में तुम्‍हारा कम से कम एक सच्‍चा दोस्‍त होना चाहिए। और एक सच्‍चा दोस्‍त ही किला होता है।'

कहानी का मोरल तो बताने की जरूरत नहीं है। अब इस कहानी को वर्चुअल दुनिया में लाया जाए तो कहानी किस तरह होगी।

आज के अनुभवी लोग कुछ मॉर्डन होंगे। बिना बच्‍चे की आईक्‍यू जाने उसे कोई शिक्षा नहीं देंगे। अगर दे भी दे तो उसके नौजवान बेटे अपनी सारी उम्र इस उपदेश पर बिना गंवाए तुरन्‍त ऑरकुट फेसबुक ट्विटर, हजारों करोड़ों ऐसे किले बनाकर कुछ ही दिनों में दिखा देंगे।
आभासी दुनिया के ये किले कितने मजबूत हैं। आज कोई ऑनलाइन सक्रिय होता है तो किलों की कतारें दिखाई देने लगती हैं। खुश होने की बात यह है कि अब ऐसे नौजवान पैदा नहीं होंगे जो अपनी उम्र ईंट पत्‍थर के किले बनाने में गंवा दें। 

2 comments:

nilesh mathur said...

बहुत ही सुन्दर कहानी है, कहानी क्या दो धारी तलवार है!

Udan Tashtari said...

विचारणीय!!