प्रवीणा जोशी

वही जो मन में आए...

Thursday


लेखिका Yog Sakhi Praveena joshi पर 3:34 AM
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मुस्‍कुराना जिन्‍दगी है तो हंसना जिंदादिली

पहले पढाई अब छोटा सा परिवार दोनों के बीच लोगों से अधिक बात करने का मौका ही नहीं मिला। इस बीच शिक्षिका से गृहिणी बन चुकी थी। अब ब्‍लॉग को देखा तो लगा कि मैं भी कुछ शेयर कर सकती हूं जो नितान्‍त निजी हो और दूसरों को छूता हुआ हो।

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