हर जगह ,रंग और कोने मे है ज़िंदगी
कच्ची ईटों के बने घरोंदों मे मुसकुराती है ज़िंदगी
डोरी पर हवा मे हिलते कपड़ो मे से बुलाती है ज़िंदगी
पत्तों के सूख कर गिरने के बाद झूम कर आती है ज़िंदगी
रोने के साथ मुस्कुराने पर लुभाती है ज़िंदगी
बदलते मौसम मे हवाओ के साथ गाती है ज़िंदगी ?
रूठे हुए बच्चे को बहलाने पर खिलखिलाती है ज़िंदगी
क्यो है ना ज़िंदगी .
...आप सी ..
.मुझ सी ..
.बहुत सी
ऐसी ही चलती है ज़िंदगी .... प्रवीणा जोशी
कच्ची ईटों के बने घरोंदों मे मुसकुराती है ज़िंदगी
डोरी पर हवा मे हिलते कपड़ो मे से बुलाती है ज़िंदगी
पत्तों के सूख कर गिरने के बाद झूम कर आती है ज़िंदगी
रोने के साथ मुस्कुराने पर लुभाती है ज़िंदगी
बदलते मौसम मे हवाओ के साथ गाती है ज़िंदगी ?
रूठे हुए बच्चे को बहलाने पर खिलखिलाती है ज़िंदगी
क्यो है ना ज़िंदगी .
...आप सी ..
.मुझ सी ..
.बहुत सी
ऐसी ही चलती है ज़िंदगी .... प्रवीणा जोशी
4 comments:
बहुत सुंदर सरल शब्दों मे जिंदगी को सामने साक्षात खड़ा कर दिया। हाँ, इन छोटी 2 बातों मे ही है, असली जिंदगी।
bahut hi saral shabdon men yah jindginama badaa acchha laga, sach....
Adbhut........apni lekhni se kitni aasan bana di tumne zindagi......!!!
हाँ जिन्दगी ऐसी ही हैं
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