Friday

भूल या चूक ?

बीकानेर    में एक खबर चर्चा का विषय बनी हुई है , चार लड़के जो कि बड़े घरो से थे साथ ही इंजीनियरिंग छात्र थे ६५००० रु के लूटपाट में पकडे गए ,मेरे लिए आश्चर्य कि बात तो ये थी  कि इनमेसे एक लड़का मेरे पीहर कि गली से है मेरी  छोटी बहन के साथ बचपन में खेलता था ,बड़े होते सामने देखा , जबकि माँ बाप  स्वभाव से शांत और व्यहवारिक ,एक बिटिया बहुत ही सुघड़ ,शांत ,घर ऐसा चमकता हुआ कि रहने को जी करे ,उन आंटी क़ी हंसी ऐसी  कि हँसे  तो  पूरा मुह्हला खिलखिलाए   ,अंकल  का खुद का कारोबार ,सुबह जाते रात को लौटते ,मैने देखा आंटी में रुआब भी है और स्नेह भी --मगर कहा चूक हुई नहीं मालूम ,बेटा गलत संगत में गया ,गली में कभी पता ना चला , आज जेल में है  ,१० दिन से  घर में खाना नहीं बन रहा,माँ बाप क़ी बरसो क़ी बनायी इज्जत मिनटों में धूल हो गयी  ,पढ़े लिखे व् अच्छे  घरो के युवा अगर इस तरह अपने भविष्य तय करेंगेतो परिणाम कौन  भुगतेगा -..देश ?,समाज ?परिवार ?या वे खुद ?..........       

4 comments:

babanpandey said...

the charecter of man or women...change...with time...//

वाणी गीत said...

बच्चे जिस समाज या संगति में रहते हैं , उसका भी उनपर बहुत असर होता है ...अभिभावक भी लाचार होते हैं कई बार ...
युवा पीढ़ी का इस तरह दिग्भ्रमित होना बहुत ही दुखद है !

RAJNISH PARIHAR said...

होता है कई बार ऐसे भी ...सब कुछ सही होते हुए भी सब गलत ही गलत होता है ,शायद सिदार्थ जी ज्यादा समझा सके.....

નીતા કોટેચા said...

hum bachcho ke piche kaha kahaa ja sakenge..aaj ke yug ke bachcho me jyaadatar ye hi haalat hai..pataa nahi kya hoga samaj ka...aur hum bhi kuch nahi kar sakte bas dekhte rahete hai...