Saturday

जीवन मेरा महान


सुबह सुबह पतिदेव की आवाज आई ''सुनो तो जी''

मैंने गला फाड़कर कहा ''क्‍याSSS''

वे बोले ''कोई बात नहीं''

सच ! नई बात तो थी नहीं

नई तो तब थी जब मैं आई थी नई

पतिदेव की आवाज ''सुनो''  सुनकर दौड़ी आती थी मैं

हर मुश्किल से मुश्किल काम करती थी मैं

उनकी ''सुनो'' ''सुनो तो'' से ''सुनो तो जी'' में बदल गए

हमारे भी अब ''क्‍या कहते हो जी'' से 

''क्‍या है'' और अब ''क्‍या में रह गए''

पांच साल में कितने हुए हैं ''अदले'' और ''बदले''

अब वो सब हमारा है जो इनका था पहले

बहुत मेहनत जो लगती है हमें यहां तक पहुंचने में

कितने दांव-पेच लगाने पड़ते हैं इतने में

अभी ''सुन तो लो जी'' का लक्ष्‍य है आगे

तब मेरा ''क्‍याSSSS'' बोलने का अहसान भी कम होगा जाके

समय के साथ

समय के साथ इनके मुश्किल काम होंगे आसान

जीवन ''मेरा'' बनेगा महान

2 comments:

सतपाल ख़याल said...

nanak dukhia sab sansaar..haha

वाणी गीत said...

कहानी घर घर की ...:)