Tuesday

सपनों की रहस्यमयी दुनिया


एक गहरी और मीठी नींद स्वास्थ्य वर्धक होती है उस समय सपना आये तो क्या कहना ,स्वप्नदर्शी मुद्रा में व्यक्तियों के आँखों के डोले साथ ही हाथ कि अंगुलियो के पोर हल्के से हिलते दिखते है ,आँख खुलने पर कई बार सपना याद भी नहीं रहता ,,,पर ये अवचेतन मन में सेव हो जाता है हो सकता है वही सपना खुली आँखों में आपके सामने कभी आये तो रोंगटे खड़े होना स्वाभाविक है (मै आपकी पत्नियों कि बात नहीं कर रही :) )

नींद में कई लोग सपने देखते है जागते में सपने देखने वाले कम ही होते है खुली आँखों से सपने देखने कि मुद्रा में व्यक्ति बिलकुल नहीं हिलता,क्योकि दिमाग और शरीर एकाग्रचित हो कर एक ही और केंद्रित हो जाते है ,सपने से बाहर आने पर व्यक्ति अपने काम में लग जाता है ,यह सपना भी अवचेतन मन का हिस्सा बन जाता है मगर बहुत कम लोग उसी सपने पूरा करने में प्रकृति से दिल से गुजारिश करते है जो लोग भी ऐसा करे उनके लिए कुदरत कुछ इस तरह साजिश रचती है की .....दिल कहता है

जिंदगी फिर से मुस्कुराई है
जब भी बंधे है कफ़न सर पे
मंजिले तब साफ़ नजर आयी है

14 comments:

anita agarwal said...

lo tumhe dhoondhte huae yahan tk a gayi...haan yadi sir per kafan baandh liya jaye to manzilein saaf nazar a jati hain aksar...

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

बहुत खूब

मनोज कुमार said...

सपने देखने का आनंद ही कुछ और है, आब खुली रहें या बन्द।

केवल राम said...

नींद में कई लोग सपने देखते है जागते में सपने देखने वाले कम ही होते है

सटीक विचार ......लेकिन सपने तो सपने हैं चाहे बंद आँखों से देखे जाएँ या खुली आँखों से ....आपका आभार

केवल राम said...

कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...

वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया .

Rakesh Kumar said...

सपनों की भी अजब कहानी है.
गोस्वामी तुलसीदास जी रामचरितमानस में
शिव जी के माध्यम से कहते हैं

'उमा कहुं मैं अनुभव अपना
सत् हरि भजन जगत सब सपना.'

सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

बहुत प्‍यारे भाव हैं।

........

शायद आपने ब्‍लॉग के लिए ज़रूरी चीजें अभी तक नहीं देखीं। यहाँ आपके काम की बहुत सारी चीजें हैं।

Vandana Ramasingh said...

जिंदगी फिर से मुस्कुराई है
जब भी बंधे है कफ़न सर पे
मंजिले तब साफ़ नजर आयी है

आपके विचारों से पूर्णतया सहमत हूँ


कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ..

Unknown said...

बेहतरीन

कुमार राधारमण said...

आंखें खुली हों कि बंद,पर सपने देखना ज़रूरी है।

रजनीश तिवारी said...

सच है , सपनों की दुनिया ही निराली है !

Anita Maurya said...

जिंदगी फिर से मुस्कुराई है
जब भी बंधे है कफ़न सर पे
मंजिले तब साफ़ नजर आयी है

bahutsudnar...

Dr Xitija Singh said...

bawra man dekhne chala koi sapna ... :))

lori said...

waah!