Sunday

प्यार और स्वास्थ्य

कहीं पढा था इक बार मैंने कि



प्‍यार वो फूल है जो गुलाब से भी सुन्‍दर है

प्‍यार वो जज्‍बा है जो खुदा से बढकर है

प्‍यार वो दुआ है जो दवा से ज्‍यादा कारगर है

प्‍यार को लेकर इतनी नेमते पढी थी मैंने

दिल व्‍याकुल था इस अहसास को पाने के लिए

सो जनाब, हम भी कर बैठे प्‍यार

दिल की घंटियां खूब बजी थी टनाटन

सतरंगी इंद्रधनुष हमने भी देखे सौ बार

हर तूफान से डूबने उतरने को थे तैयार

सो हो गया हमें भी प्‍यार

मगर सरकार,

जल्‍द ही उतरा यह खुमार,

जब घंटियां दिल से खिसककर

दिमाग में टनटनाने लगीं

गुलाब के फूलों की जगह अब

उसकी कांटेदार डालियां नजर आने लगीं

सतरंगी इंद्रधनुष भी ऐसा गायब

हर चीज श्‍वेत-श्‍याम नजर आने लगी

दुआओं की जगह दवाओं का लग गया अंबार

जिन आंखों से हुआ था इकरार

उन्‍हीं आंखों में था पानी से लबालब भरा तालाब

प्‍यार तो हम भी करते हैं अब भी

मगर इस वैधानिक चेतावनी के साथ

प्‍यार स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक है’

5 comments:

वाणी गीत said...

कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है :)

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

आदरणीया प्रवीणाजी जोशी
सस्नेहाभिवादन !

पहली बार आपके यहां पहुंचा हूं , बहुत अच्छा लगा ।

कविता भी मुस्कुराने का अवसर देने वाली है -
जल्‍द ही उतरा यह खुमार,
जब घंटियां दिल से खिसककर
दिमाग में टनटनाने लगीं
गुलाब के फूलों की जगह अब
उसकी कांटेदार डालियां नज़र आने लगीं

हा ह ऽ ऽ ऽ हा हा !
…लेकिन, निर्मल निश्छल प्यार ईश्वर का वरदान भी है !

किसी ने क्या ख़ूब कहा है -
प्यार इंसान को इंसान बना देता है …


♥ प्रेम बिना निस्सार है यह सारा संसार !♥

बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार

रश्मि प्रभा... said...

shaandaar

Pratik Maheshwari said...

यह भी सही है.. पर सबका अलग-अलग आनंद है.. :)

shobha mishra said...

प्रवीना जी , प्यार का खुमार तो बहुत जल्दी उतार दिया अपने ....:))) बहुत सुन्दर रचना ... और आपका बेटा बहुत ही प्यारा लगा मुझे ... बिलकुल नटखट कान्हा की तरह ... मेरी तरफ से उसे ढेर सारा प्यार और आशीवाद दीजियेगा ...:):)